*घर-घर विराजेंगे श्री गणेश ,यहा पढ़िए स्थापना के शुभ मुहूर्त ओर पूजन की विधि...*
घर-घर विराजेंगे श्रीगणेश, यहाँ पढ़िए स्थापना के शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि ...
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गणेश चतुर्थी: हिंदुओं के लिए प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश कल देश भर में घर-घर विराजेंगे| रिद्धि-सिद्धि और बुद्धि के देवता बप्पा मोरया के जन्म के रूप में दस दिनों तक देश भर में उत्सव होता है| इस साल गणेशोत्सव 25 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक मनाया जाएगा | पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के इस उत्सव को उनके भक्त बेहद ही उत्साह के साथ मनाते हैं| भक्त भगवान गणेश की मूर्ती की स्थापना कर दस दिनों तक तन मन धन से श्रद्धा-भक्ति के भाव में डूबकर गणेशजी की पूजा करते हैं| कहा जाता है जब मूर्ती विसर्जन होता है उसी के साथ बाप्पा अपने भक्तों के सभी विघ्न हर कर अपने साथ ले जाते हैं और मंगल कामना का आशीर्वाद दे जाते हैं|
बप्पा को मोदक है प्रिय
भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाया जाता है | ऐसी मान्यता है कि श्रीगणेश का सबसे प्रिय भोग मोदक है| भक्त उन्हें कई तरह की मिठाईयां जैसे मोदक, गुड़ और नारियल जैसी चीज़े प्रसाद या भोग में चढ़ाते हैं | गणेश जी को मोदक काफी पंसद थे जिन्हें चावल के आटे, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है| इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान है|
श्रीगणेशजी की स्थापना के शुभ मुहूर्त
प्रातः 06.08 मि. से 07.42 मि. तक (चर)
प्रातः 07.43 मि. से 09.17 मि. तक (लाभ)
प्रातः 09.18 मि. से 10.51 मि. तक (अमृत)
दोप. 12.26 मि. से 02.00 मि. तक (शुभ)
दोप. 05.09 मि. से सांयः 06.44 मि. तक (चर)
दोप. 12.26 मि. से 12.50 मि. तक (विशेष मुहूर्त )
पूजा के लिए जरूरी सामग्री -
गणपति की मूर्ति को घर में स्थापित करने के समय सभी विधि विधान के अलावा जिन सामग्री की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं। जैसे लाल फूल, दूर्वा, मोदक, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्ती।
गणेश स्थापना की विधि
श्री गणेश, गजानन, विनायक, लंबोदर, वक्रतुंड और एकदंत के नाम से पुकारे जाने वाले भगवान गणेश की घर स्थापना की जायेगी| हिंदू शास्त्रों में गणेश जी को सभी दुखों और परेशानियों को हरने वाला देवता बताया गया है| गणेश उपासना से शनि समेत सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं| गणेश चतुर्थी वाले दिन गणेश पूजन के लिए सुबह के समय स्नानादि से निवृत्त होकर सबसे पहले गणेश प्रतिमा को पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके लाल रंग के आसन पर विराजमान करें| पंचामृत से श्री गणेश को स्नान कराएं तत्पश्चात केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती करें। उनको मोदक के लड्डू अर्पित करें। उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। श्री गणेश जी का श्री स्वरूप ईशाण कोण में स्थापित करें और उनका श्री मुख पश्चिम की ओर रहे।
Reviewed by Gsm Dhangar
on
August 24, 2017
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